घर का मुखय द्वार, जिसे प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, उसी प्रकार महत्व रखता है, जिस प्रकार शरीर में हमारा मुख। प्रवेश द्वार न सिर्फ घर के अंदरुनी द्वारों से जुड़ा होता है, यहीं से परिवार के सदस्य और मेहमान व आगंतुक प्रवेश करते हैं। हमारे रहन-सहन, हमारी जीवनशैली के बारे में आगंतुकों को बहुत कुछ अंदाजा प्रवेश द्वार से हो जाता है। प्रवेश द्वार परिवार के सदस्यों व मेहमानों का स्वागत करने वाला हो।
प्रवेश द्वार से ही घर में ऊर्जा का संचार होता है। घर मे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो या नकारात्मक ऊर्जा का यह निर्भर करता है प्रवेश द्वार की स्थिति पर। फेंग्शुई के नियमों का अनुपालन करके बनाया गया प्रवेश द्वार परिवार को समृद्धि, स्वास्थ्य और लंबी आयु प्रदान करता है।
प्रवेश द्वार के निर्माण के समय आपको कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। प्रवेश द्वार किस दिशा में है, यह जानना अति-आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर अगर आपके भवन का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा की ओर है, तो आप द्वार पर दक्षिण दिशा के फेंग्शुई तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाला रंग ही करवाएं। विदित है कि फेंग्शुई के पांच मूल तत्व हैं- अग्नि, पृथ्वी, जल, धातु एवं लकडी। इनमें से प्रत्येक तत्व किसी न किसी दिशा विशेष से जुडा है और प्रत्येक तत्व का प्रतिनिधि रंग भी होता है।
प्रेवश द्वार की लंबाई-चौडाई संतुलित होनी चाहिए। न यह बहुत लंबा हो और न छोटा। बहुत छोटा प्रवेश द्वार जहां परिवार में वैमन्सय व तनाव उत्पन्न करता है, वहीं बहुत लंबा प्रवेश द्वार आर्थिक परेशानियों का कारण बनता है। दरवाजे की चोखट किसी भी भवन के लिए विशेष महत्व रखती है। चौखट सदैव मजबूत होनी चाहिए। मजबूत चौखट परिवार के लिए सौभाग्य लाती है।
ध्यान रहे कि सौंदर्य को फेंग्शुई में सकारात्मक ऊर्जा का वाहक माना गया है। इसलिए प्रवेश द्वार की खूबसूरती को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रवेश द्वार के दरवाजे पर आप लाल, नारंगी, बैंगनी या गहरा गुलाबी रंग कर सकते हैं। ये रंग अग्नि तत्व के प्रतिनिधि रंग हैं। वहीं आप हरा व भूरा रंग भी कर सकते हैं, जो कि लकड़ी तत्व के प्रतिनिधि रंग है। बताने की आवश्यकता नहीं कि लकडी अग्नि का सहयोगी तत्व है। लकडी अग्नि के प्रज्ज्वलन में सहायता करती है।
घर के प्रेवश द्वार को ऊर्जामय बनाने के साथ-साथ आपको इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि घर का बैक डोर यानी पीछला दरवाजा ऊर्जा के प्रवाह का निष्काशन न करे। मतलब यह कि प्रवेश द्वार से आने वाली सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवाहित हो न कि वह बैक डोर से निष्काशित हो जाए। इसके लिए आप अग्नि तत्व के विपरीत तत्व यानी जल तत्व को बैक डोर पर प्रभावी बना सकते हैं। घर का प्रवेश द्वार अगर दक्षिण दिशा में स्थित और आपने वहां अग्नि तत्व के प्रतिनिधि रंगों का इस्तेमाल किया है, तो बैक डोर जो कि उत्तर दिशा में स्थित होगा, वहां आप जल तत्व के प्रतिनिध रंगों-नीला व काला- का इस्तेमाल कर सकते हैं।
भवन का प्रवेश द्वार किसी अन्य इमारत के कोने व पेड से न छूता हो। यह स्थिति परिवार के लिए बीमारियों व आर्थिक समस्याओं को आमंत्रित करती है। प्रवेश द्वार के सामने का भाग, जिसे फेंग्शुई में मिंग टेंग कहा जाता है, खुला होना चाहिए। बेहतर हो अगर प्रवेश द्वार के सामने बेहद नजदीक किसी दूसरी इमारत का दरवाजा, कोई चट्टान, पहाड या किसी ऊंची इमारत की दीवार न हो। ये स्थितियां घर में की अर्थात फेंग्शुई ऊर्जा के प्रवेश को बाधित करती हैं। उक्त स्थितियां होने के कारण परिवार के सदस्यों के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगडा होने लगता है। घर के सामने पर्वत या चट्टान आदी है तो परिवार को आर्थिक हानि का सामना करना पडता है, वहीं आपसी संबंधों में कडवाहट उत्पन्न होती है।
फेंग्शुई कहता है कि भवन के प्रेवश द्वार के सामने कोई विशाल पेड़ या विद्युत खंभा अथवा स्ट्रीट लाइट आदि न हो। प्रवेश द्वार पडोसी के भवन के कोने या चिमनी की ओर नहीं होना चाहिए। इस बात का भी खयाल रखें की प्रवेश द्वार किसी ऐसे रोड/गली की तरफ न खुलता हो, जो मुखय मार्ग से जुडा और अंग्रेजी के वाई व टी अक्षरों की भौगोलिक स्थिति बनाता हो।
अगर प्रवेश द्वार किसी ऐसे रोड की तरफ खुलता है, जो आगे जाकर दो अलग-अलग भागों में विभक्त हो गया है यानी अंग्रेजी के अक्षर वाई की स्थिति बना रहा है, तो यह स्थिति परिवार के सदस्यों की निर्णय क्षमता को दुरुह बना देती है। उन्हें किसी भी आम और खास विषय पर निर्णय लेने में कठिनाई होती है। हालांकि प्रवेश द्वार टी प्वाइंट के समक्ष होने से उक्त कठिनाइयां उत्पन्न नहीं होती, लेकिन कुछ अन्य किस्म की समस्याओं से जरूर दो-चार होना पडता है।
प्रवेश द्वार मंदिर, चर्च, आश्रम या कब्रिस्तान के सामने न हो। फेंग्शुई कहता है कि इन स्थलों पर यांग ऊर्जा निवास करती है, जो यिन ऊर्जा की खोज में आपके भवन में प्रवेश कर सकती है। मंदिर, चर्च, आश्रम या कब्रिस्तान अगर भवन के पीछे अथवा दाएं-बाएं स्थित हों, तब उतना नकारात्मक प्रभाव नहीं पडता, जितना कि इनके प्रवेश द्वार के सामने होने से पडता है।
प्रवेश द्वार ऐसे भवनों के सामने नहीं होना चाहिए, जिनके बीच संकरा रास्ता हो। यह स्थिति घर से की अर्थात सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को निष्काशित कर देती है।
प्रवेश द्वार के संबंध में कुछ और ध्यान रखने योग्य बातें निम्न हैं:-
ह्ण दरवाजों की सुरक्षा के नजरिए से मजबूत बनाया जाना चाहिए।
ह्ण मुखय दरवाजा मकान के अंदर खुलना चाहिए।
ह्ण मुखय दरवाजा जहां खुले, वहां पर्याप्त खुला स्थान हो।
ह्ण प्रवेश द्वार के सामने खुला स्थान हो, तो यह स्थिति उपयुक्त मानी जाती है।
ह्ण प्रवेश द्वार के शौचालय अथवा स्नानघर के नीचे न बना हो।
ह्ण मुखय द्वार आपकी निजी शुभ दिशा की ओर बनाएं।
ह्ण प्रवेश द्वार के सामने शौचालय अथवा सीढियां न हों।
ह्ण क्षतिग्रस्त दरवाजों की तुरंत मरम्मत करानी चाहिए।
ह्ण मुखय द्वार के पास प्रकाश की व्यवस्था उत्तम होनी चाहिए।
Leave a Comment